मंगलवार, 10 मई 2011

विजय वर्मा कथा सम्मान समारोह संपन्न -- रिपोर्ट

साहित्य का सच वास्तविक सच से भिन्न होता है : संजीव

"जबानें दिलों को जोड़ने के लिए होती हैं तोड़ने के लिए नहीं" ये उदगार पूर्व अध्यक्ष महाराष्ट्र राज्य उर्दू अकादमी के डा. अब्दुल सत्तार दलवी ने २३ अप्रैल २०११ को बेंक्वेट हाल, गोरेगांव [पूर्व] मुम्बई में हेमंत फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित विजय वर्मा कथा सम्मान समारोह में व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा- 'नौजवनों की हौसला अफ़जाई वक्त की अहम जरूरत है और यह काम हेमंत फ़ाउंडेशन बखूबी कर रहा है।' हिन्दी उर्दू के साहित्यकारों, टी.वी. कलाकारों, साहित्यप्रेमियों , मीडिया प्रेस से संलग्न तथा बाहर से आये हुए साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति में तालियों की गड़गड़ाहट तथा संगीत की सुमधुर ध्वनि के बीच वर्ष २०११ का 'विजय वर्मा कथा सम्मान' मनोज कुमार पांडे [लखनऊ] को उनके कथा संग्रह 'शहतूत' के लिए तथा 'हेमंत स्मृति कविता सम्मान' वाजदा खान [दिल्ली] को उनके कविता संग्रह 'जिस तरह घुलती है काया' के लिए प्रमुख अतिथि श्री संजीव [कार्यकारी संपादक हंस] एवं अध्यक्ष श्री अब्दुल सत्तार दलवी ने प्रदान किया। पुरस्कार के अंतर्गत ग्यारह हजार की धनराशि,शाल,पुष्पगुच्छ, एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।


कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। संस्था के निदेशक श्री विनोद टीबड़ेवाला एवं श्री जे.जे.टी. विश्वविद्यालय झुंझनू के कुलपति ने इस समारोह पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा- उन्हें गर्व है कि उनका विश्वविद्यालय ऐसे साहित्यिक समारोह से जुड़ा है। उन्होंने दोनों पुरस्कृत रचनाकारों का सम्मान करते हुए उन्हें युवा पीढ़ी का मील का पत्थर बताया।

संस्था की अध्यक्ष व प्रबन्धन्यासी साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव ने ट्रस्ट का परिचय देते हुए उसकी गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि ट्रस्ट शीघ्र ही हिन्दी-उर्दू मंच तैयार करेगा ताकि दो जबानें मिलकर नए पथ का निर्माण करें।

समारोह में पुरस्कृत कविता संग्रह पर डा. करुणाशंकर उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में कहा- वाजदाखान की कविताएं चित्र से परिपूर्ण हैं और कविताएं बिम्ब पूर्णता को दर्शाती हैं।

लेखिका डा. प्रमिला वर्मा ने संयोजक श्री भारत भारद्वाज द्वारा भेजी गई संस्तुति प्रस्तुत की। सम्मानित रचनाकार वाजदाखान ने अपनी रचनाओं का पाठ किया एवं अपने वक्तव्य पर बोलते हुए कहा - चित्रकला मेरा क्षेत्र रहा, मगर कविताओं को लिखना पढ़ना हमेशा आकर्षित करता रहा। कविताएं अन्तश्चेतना के किसी हिस्से को बड़ी ही आहिस्ता से स्पर्श करती हैं। यह जादुई स्पर्श कई-कई दिनों तक वजूद पर छाया रहता है।

मनोज कुमार पांडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं विजय वर्मा कथा सम्मान मिलने पर खुश हूं। और सचमुच सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इसलिए भी क्योंकि यह सम्मान अपनी शुरूआत से ही विश्वसनीय रहा है और कई ऐसे कथाकारों को मिल चुका है जिनकी रचनाएं मैं गहरे लगाव के साथ पढ़ता रहा हूं।

प्रमुख अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री संजीव ने अपने रोचक वक्तव्य में कहा- साहित्य का सच वास्तविक सच से भिन्न होता है। प्रगटत: मिथ्या सा लगता है लेकिन वह उस वास्तविक सत्य से ज्यादा बड़ा सत्य होता है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने रवीन्द्रनाथ ठाकुर की काबुलीवाला का जिक्र किया जिसमें रहमत नायक जेल में १२ वर्ष गुजार कर जब घर लौटता है तो अपनी ५ वर्ष की बेटी के लिए चूड़ियां ले जाता है । उसके लिए बेटी आज भी पांच वर्ष की है। रहमत के लिए वक्त वहीं ठहर गया है। उन्होंने कहा कि ''अपने यहां किसी भी ऐतिहासिक सच से रामायण-महाभारत का सच समाज को ज्यादा प्रभावित करता रहा है।''

मनोज कुमार पांडे की कहानी 'पत्नी का चेहरा' आवाज तथा रंगमंच की दुनिया के प्रखर कलाकार सोनू पाहूजा ने अपने रोचक अंदाज में प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का संचालन कवि आलोक भट्टाचार्य ने किया एवं समारोह का समापन लेखिका सुमीता केशवा के आभार से हुआ।

प्रेषक : सुमीता केशवा
कार्याध्यक्ष- हेमंत फ़ाउंडेशन, मुंबई.

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

राम निवास 'इंडिया' जनता दल 'यू' के प्रदेश सचिव मनोनीत

राम निवास 'इंडिया' जनता दल 'यू' के प्रदेश सचिव मनोनीत

७,जंतर मंतर रोड ,नई दिल्ली ११०००१ में अवस्थित जद'यू'के प्रदेश कार्यालय में ,दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर श्री बलबीर सिंह की अध्यक्षता में एक आवश्यक बैठक हुई जिसमें पार्टी सम्बन्धी अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श के साथ साथ साहित्य जगत के लोकप्रिय गीतकार,कवि एवं शायर श्री राम निवास 'इंडिया' (आर।अन.तिवारी) को सर्व सम्मति से दिल्ली प्रदेश जद'यू' का सचीव मनोनीत किया गया !

उपरोक्त बैठक में दिल्ली प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों ,सचिवों , दिल्ली प्रदेश अनुशाश्नात्मक बोर्ड के अध्यक्ष श्री दर्पण शिकोहाबादी,महा सचीव श्री ओमप्रकाश पिप्पल, श्रीमती ललिता त्यागी,डेल्ही प्रदेश अल्पसंख्यक बोर्ड के चेयर मैन डॉक्टर इम्दादुल्ला जौहर तथा दिल्ली प्रदेश कमिटी के समस्त अधिकारियों सहित जदयू राष्ट्रीय नेतृत्वा के प्रतिनिधि श्री अरविन्द कुमार तिवारी ने भाग लेकर पार्टी के बिभिन्न मुद्दों पर अपने अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये! सभा का संचालन श्री जुगनी जी ने कुशल पूर्वक किया !

जदयू दिल्ली प्रदेश कमिटी की तरफ से
राम निवास 'इंडिया'
गीतकार

मंगलवार, 29 मार्च 2011

लोकतंत्र के सशक्तिकरण में आरटीआई की भूमिका पर सेमिनार संपन्न


लोकतंत्र के सशक्तिकरण में आरटीआई की भूमिका पर सेमिनार संपन्न
नई दिल्ली ,28 मार्च ,२०११
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आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज के सेमिनार हॉल में लोकतंत्र के सशक्तिकरण में आरटीआई की भूमिका " विषय पर आयोजित सेमिनार की अध्यक्षता इंडियन कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन बार के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष प्रवीण एच पारीख ने की. अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री पारीख ने कहा की लोकतंत्र के सशक्तिकरण में आरटीआई एक्ट एक बेहतर टूल साबित हो सकता है . अमीरों के लिए आरटीआई का कोइ खास महत्त्व बेशक न हो परन्तु गरीबों के लिए यह प्रमुख हथियार हो सकता है .टाइम्स ऑफ़ इंडिया के कार्टूनिस्ट आर .के.लक्षमण का उदहारण देते हुए उन्होंने कहा की कुछ लोग कुछ खास करने के लिए संकल्पवद्ध होते हैं .वैसे लोग शरीर और मन दोनों से कठोर परिश्रम करने वाले होते हैं, जिनमें से एक गोपाल प्रसाद आरटीआई एक्टिविस्ट भी हैं. आज आरटीआई आन्दोलन को ऐसे ही संकल्प शक्ति वाले उर्जावान लोगों की आवश्यकता है.

इंडिया ऑन फ़ोन के सीईओ इ.के.झा ने संस्था के साथ मिलकर आरटी आई ऑन फोन के माडल की उपयोगिता पर प्रकाश डाला एवं टेलीफोन के माध्यम से आरटीआई आन्दोलन को गति देने का संकल्प लिया .उन्होंने कहा की आज आरटीआई को गाँव तक एवं देश के अंतिम पायदान पर खड़े जमात तक पहुँचाने की आवश्यकता है. इसे पूरा करने हेतु उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ताओं से सहयोग की अपील की .उन्होंने कहा की इंडिया ऑन फोन के हेल्पलाइन नंबर 9891919135 पर देश के किसी भाग का नागरिक अतिशीघ्र आरटीआई कार्यकर्ताओं एवं आरटीआई से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकता है .नई टेक्नोलोजी के बिना आरटी आई आन्दोलन की गति तेज एवं प्रभावी नहीं हो सकती है.

सोशल कम्युनिटी साईट फेसबुक पर सूचना का अधिकार कम्युनिटी चलनेवाले न्यूज प्रोड्यूसर हसन जावेद ने आरटीआई के बढ़ते प्रभाव एवं ब्यूरोक्रेसी की मानसिकता को बड़े अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया.

पर्सनालिटी डेवलप[मेंट विशेषज्ञ निखिल त्यागी ने अमेरिका एवं चीन के अग्रणी रहने का उदहारण देते हुए कहा की अगर हमें पारदर्शिता चाहिए तो सबसे पहले हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी. हमें अग्रणी बनाने हेतु आक्रामक भूमिका में आना होगा तभी हम वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था से लडाई लड़ सकते हैं.

संस्था के महासचिव गोपाल प्रसाद ने आरटी आए क्षेत्र के अपने नौ महीने के कार्यकाल के दौरान प्राप्त अनुभव एवं कठिनाईयों पर प्रकाश डाला . अपने संबोधन में उन्होंने कहा की आरटीआई ड्राफ्टिंग अपने आप में एक महत्वपूर्ण कला है, जिसे सीखने एवं सिखाने की आवश्यकता है. जब तक प्रश्न पूछने की कला नहीं आएगी तब तक आपको सही जबाब नहीं मिलेगा. आरटी आई के प्रश्नों में क्या, कब, कहाँ ,कैसे क्यों आदि प्रश्नवाचक शब्दों का प्रयोग करने के बजे उसे जानकारी का रूप देकर बगैर प्रश्न वाली शैली में प्रयोग किया जाना चाहिए, अधिकांश लोग ऐसी गलती किया करते हैं. उन्होंने कहा की उनके संस्था गठन करने का लक्ष्य सर्वप्रथम आरटीआई एक्टिविस्टों के अधिकार की लड़ाई लादना है. इसके लिए सर्वप्रथम सामूहिक प्रयास से अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों की विशेषज्ञता का लाभ आरटीआई आवेदकों को दिलाना है . इस हेतु तंत्र विकसित कर आरटीआई क्षेत्र से जुड़े लोगों के प्रशिक्षण एवं जनजागरण के अतिमहत्वपूर्ण पक्ष की चुनौती संस्था वहन करेगी .अतिशीघ्र राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर राज्य समन्यकों के माध्यम से प्रत्येक राज्य के राजधानी में आरटीआई विषयों पर विचारगोष्ठी एवं सम्मलेन आयोजित की जायेगी व्यवस्था से पीडीत लोग ही आन्दोलन का हिस्सा बन सकते हैं . लोगों को उसके नैतिक कर्त्तव्य के साथ-साथ अधिकार के बारे में जानकारी देने पर स्वतः क्रांति हो जायेगी. उन्होंने कहा की कौन कहता है की जयप्रकाश नारायण मर गए?आज जयप्रकाश नारायण आरटीआई एक्टिविस्टों के रूप में तथा उनका सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन आरटीआई आन्दोलन का नया स्वरुप है जो अब रंग ला रहा है.

संस्था के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा की देश के ज्यादातर आरटीआई एक्टिविस्ट माध्यम वर्ग के ही हैं . उन्होंने लॉयर्स ऑफ़ द वर्ल्ड एसोसिएशन संस्था एवं आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के एक साथ रणनीति बनाने पर बल दिया तथा कहा की वे इसके लिए आगे विचार -विमर्श करेंगे ताकि इसे शीघ्र क्रियान्वित किया जा सके. .

इंडियन इंस्टीचयुट ऑफ़ पोलिटिकल लीडरशिप के निदेशक शाहनवाज ने आरटीआई एक्टिविस्टों को दिशा देने की आवश्यकता पर जोर दिया . अपने वक्तव्य में उन्होनेव कहा की वे आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के साथ मिलकर लम्बी दूरी तय करने के प्रति आशान्वित हैं.

संस्था के चेयरमैन धनीराम एवं संरक्षक अनिल कुमार मित्तल ने जनहित की भावना से आरटीआई फाईल करने की आवश्यकता पर जोर दिया. तृप्ति सोनकर के सरस्वती वंदना एवं अलीगढ के कवी एवं पत्रकार गाफिल स्वामी द्वारा भ्रष्टाचार पर केन्द्रित कविता को मुक्तकंठ से सराहना मिली.

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

आकांक्षा यादव को ’न्यू ऋतंभरा भारत-भारती साहित्य सम्मान-2010’

आकांक्षा यादव कोन्यू ऋतंभरा भारत-भारती साहित्य सम्मान-2010’



युवा कवयित्री एवं साहित्यकार सुश्री आकांक्षा यादव को हिन्दी साहित्य में प्रखर रचनात्मकता एवं अनुपम कृतित्व के लिए छत्तीसगढ़ की प्रमुख साहित्यिक संस्था न्यू ऋतंभरा साहित्य मंच, दुर्ग द्वारा ’भारत-भारती साहित्य सम्मान-2010’ से सम्मानित किया गया है. गौरतलब है कि सुश्री आकांक्षा यादव की आरंभिक रचनाएँ दैनिक जागरण और कादम्बिनी में प्रकाशित हुई और फिलहाल वे देश की शताधिक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित हो रही हैं. नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रूचि रखने वाली सुश्री आकांक्षा यादव के लेख, कवितायेँ और लघुकथाएं जहाँ तमाम संकलनोंध्पुस्तकों की शोभा बढ़ा रहे हैं, वहीँ आपकी तमाम रचनाएँ आकाशवाणी से भी तरंगित हुई हैं. पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ अंतर्जाल पर भी सक्रिय सुश्री आकांक्षा यादव की रचनाएँ इंटरनेट पर तमाम वेबध् ई-पत्रिकाओं और ब्लॉगों पर भी पढ़ी-देखी जा सकती हैं. आपकी तमाम रचनाओं के लिंक विकिपीडिया पर भी दिए गए हैं. शब्द-शिखर, सप्तरंगी-प्रेम, बाल-दुनिया और उत्सव के रंग ब्लॉग आप द्वारा संचालित/सम्पादित हैं. ’क्रांति-यज्ञ रू 1857-1947 की गाथा’ पुस्तक का संपादन करने वाली सुश्री आकांक्षा के व्यक्तित्व-कृतित्व पर वरिष्ठ बाल साहित्यकार डा. राष्ट्रबन्धु जी ने ‘‘बाल साहित्य समीक्षा‘‘ पत्रिका का एक अंक भी विशेषांक रुप में प्रकाशित किया है।

मूलत उत्तर प्रदेश के एक कालेज में प्रवक्ता सुश्री आकांक्षा यादव वर्तमान में अपने पतिदेव श्री कृष्ण कुमार यादव के साथ अंडमान-निकोबार में रह रही हैं और वहां रहकर भी हिंदी को समृद्ध कर रही हैं. श्री यादव भी हिंदी की युवा पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर हैं और सम्प्रति अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ पद पर पदस्थ हैं. एक रचनाकार के रूप में बात करें तो सुश्री आकांक्षा यादव ने बहुत ही खुले नजरिये से संवेदना के मानवीय धरातल पर जाकर अपनी रचनाओं का विस्तार किया है। बिना लाग लपेट के सुलभ भाव भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें यही आपकी लेखनी की शक्ति है। उनकी रचनाओं में जहाँ जीवंतता है, वहीं उसे सामाजिक संस्कार भी दिया है।

सुश्री आकांक्षा यादव को इससे पूर्व भी विभिन्न साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती ज्योति‘‘, ‘‘एस0एम0एस0‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार, मध्यप्रदेश नवलेखन संघ द्वारा ‘‘साहित्य मनीषी सम्मान‘‘ व ‘‘भाषा भारती रत्न‘‘, छत्तीसगढ़ शिक्षक-साहित्यकार मंच द्वारा ‘‘साहित्य सेवा सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ‘‘शब्द माधुरी‘‘, इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, बिजनौर द्वारा ‘‘साहित्य गौरव‘‘ व ‘‘काव्य मर्मज्ञ‘‘, श्री मुकुन्द मुरारी स्मृति साहित्यमाला, कानपुर द्वारा ‘‘साहित्य श्री सम्मान‘‘, मथुरा की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘‘आसरा‘‘ द्वारा ‘‘ब्रज-शिरोमणि‘‘ सम्मान, देवभूमि साहित्यकार मंच, पिथौरागढ़ द्वारा ‘‘देवभूमि साहित्य रत्न‘‘, राजेश्वरी प्रकाशन, गुना द्वारा ‘‘उजास सम्मान‘‘, ऋचा रचनाकार परिषद, कटनी द्वारा ‘‘भारत गौरव‘‘, अभिव्यंजना संस्था, कानपुर द्वारा ‘‘काव्य-कुमुद‘‘, महिमा प्रकाशन, दुर्ग-छत्तीसगढ द्वारा ’महिमा साहित्य भूषण सम्मान’, अन्तर्राष्ट्रीय पराविद्या शोध संस्था, ठाणे, महाराष्ट्र द्वारा ‘‘सरस्वती रत्न‘‘, अन्तर्ज्योति सेवा संस्थान गोला-गोकर्णनाथ, खीरी द्वारा श्रेष्ठ कवयित्री की मानद उपाधि इत्यादि प्रमुख हैं। सुश्री आकांक्षा यादव को इस अलंकरण हेतु हार्दिक बधाईयाँ।

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गोवर्धन यादव
संयोजक-राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, छिन्दवाड़ा
103 कावेरी नगर, छिन्दवाड़ा (म0प्र0)-480001

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

: साहित्य समाचार: मध्य प्रदेश लघु कथाकार परिषद् : २६ वाँ वार्षिक सम्मेलन जबलपुर, २०-२-२०११

: साहित्य समाचार:
मध्य प्रदेश लघु कथाकार परिषद् : २६ वाँ वार्षिक सम्मेलन
जबलपुर, २०-२-२०११,
अरिहंत होटल, रसल चौक, जबलपुर

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' व अन्य लघुकथाकार सम्मानित होंगे

जबलपुर. लघुकथा के क्षेत्र में सतत सक्रिय रचनाकारों कर अवदान को प्रति वर्ष सम्मानित करने हेतु प्रसिद्ध संस्था मध्य प्रदेश लघु कथाकार परिषद् का २६ वाँ वार्षिक सम्मेलन अरिहंत होटल, रसल चौक, जबलपुर में २०-२-२०११ को अपरान्ह १ बजे से आमंत्रित है.

परिषद् के अध्यक्ष मो. मोइनुद्दीन 'अतहर' तथा सचिव कुँवर प्रेमिल द्वारा प्रसरित विज्ञप्ति के अनुसार इस वर्ष ७ लघुकथाकारों को उनके उल्लेखनीय अवदान हेतु सम्मानित किया जा रहा है.

ब्रिजबिहारीलाल श्रीवास्तव सम्मान - श्री संजीव वर्मा 'सलिल', जबलपुर.
सरस्वती पुत्र सम्मान - श्री पारस दासोत जयपुर.
रासबिहारी पाण्डेय सम्मान - श्री अनिल अनवर, जोधपुर.
डॉ. श्रीराम ठाकुर दादा सम्मान - श्री अशफाक कादरी बीकानेर.
जगन्नाथ कुमार दास सम्मान- श्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार दुबे, जबलपुर.
गोपालदास सम्मान - डॉ. राजकुमारी शर्मा 'राज', गाज़ियाबाद.
आनंदमोहन अवस्थी सम्मान- डॉ. के बी. श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर- मो. मोइनुद्दीन 'अतहर', जबलपुर.

कार्यक्रम प्रो. डॉ. हरिराज सिंह 'नूर' पूर्व कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अध्यक्षता, प्रो. डॉ. जे. पी. शुक्ल पूर्व कुलपति रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के मुख्यातिथ्य तथा श्री राकेश 'भ्रमर', श्री अंशलाल पंद्रे व श्री निशिकांत चौधरी के विशेषातिथ्य में संपन्न होगा.

इस अवसर पर मो. मोइनुद्दीन 'अतहर' द्वारा सम्पादित परिषद् की लघुकथा केन्द्रित पत्रिका अभिव्यक्ति के जनवरी-मार्च २०११ अंक, श्री कुँवर प्रेमिल द्वारा सम्पादित प्रतिनिधि लघुकथाएँ २०११ तथा श्री मनोहर शर्मा 'माया' लिखित लघुकथाओं के संग्रह मकड़जाल का विमोचन संपन्न होगा.

द्वितीय सत्र में डॉ. तनूजा चौधरी व डॉ. राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' लघु कथा के अवदान, चुनौती और भविष्य विषय पर विचार अभिव्यक्ति करेंगे.
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http://divyanarmada.blogspot.com


रविवार, 20 फ़रवरी 2011

दयानंद वैदिक महाविद्यालय, उरई में UGC द्वारा प्रायोजित राष्ट्रिय सेमीनार == 13-14 मार्च 2011

दयानंद वैदिक महाविद्यालय, उरई में UGC द्वारा प्रायोजित राष्ट्रिय सेमीनार == 13-14 मार्च 2011







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दयानंद वैदिक महाविद्यालय, उरई में UGC द्वारा प्रायोजित राष्ट्रिय सेमीनार -- date-27-28 मार्च 2011

दयानंद वैदिक महाविद्यालय, उरई में UGC द्वारा प्रायोजित राष्ट्रिय सेमीनार == 27-28 मार्च 2011





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शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

कृष्ण कुमार यादव को ‘’ डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-२०१०''

भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा कृष्ण कुमार यादव को ‘’ डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2010‘‘
भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने युवा साहित्यकार एवं भारतीय डाक सेवा के अधिकारी श्री कृष्ण कुमार यादव को अपने रजत जयंती वर्ष में ‘’ डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2010‘‘ से सम्मानित किया है। श्री यादव को यह सम्मान साहित्य सेवा एवं सामाजिक कार्यों में रचनात्मक योगदान के लिए प्रदान किया गया है। श्री कृष्ण कुमार यादव वर्तमान में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ पद पर कार्यरत हैं.
सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय 33 वर्षीय श्री कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को देश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में देखा-पढा जा सकता हैं। विभिन्न विधाओं में अनवरत प्रकाशित होने वाले श्री यादव की अब तक कुल 5 पुस्तकें- अभिलाषा (काव्य संग्रह), अभिव्यक्तियों के बहाने (निबन्ध संग्रह), अनुभूतियां और विमर्श (निबन्ध संग्रह) और इण्डिया पोस्टः 150 ग्लोरियस ईयर्स, क्रान्ति यज्ञः 1857 से 1947 की गाथा प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डाॅ0 राष्ट्रबन्धु द्वारा श्री यादव के व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘‘बाल साहित्य समीक्षा‘‘ पत्रिका का विशेषांक जारी किया गया है तो इलाहाबाद से प्रकाशित ‘‘गुफ्तगू‘‘ पत्रिका ने भी श्री यादव के ऊपर परिशिष्ट अंक जारी किया है। शोधार्थियों हेतु आपके जीवन पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव‘‘ ( स0 डा0 दुर्गाचरण मिश्र) भी प्रकाशित हुई है। श्री यादव की रचनायें पचास से ज्यादा संकलनों में उपस्थिति दर्ज करा रहीं हैं और आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर और पोर्टब्लेयर से भी उनकी रचनाएँ और वार्ता प्रसारित हो चुके हैं. श्री कृष्ण कुमार यादव ब्लागिंग में भी सक्रिय हैं और ‘शब्द सृजन की ओर‘ और ‘डाकिया डाक लाया‘ नामक उनके ब्लॉग चर्चित हैं.
ऐसे विलक्षण व सशक्त, सारस्वत सुषमा के संवाहक श्री कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्वे विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’महात्मा ज्योतिबा फुले फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान -2009‘‘, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा काव्य शिरोमणि-2009 एवं महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, मध्य प्रदेश नवलेखन संघ द्वारा ‘‘साहित्य मनीषी सम्मान‘‘ व ‘‘भाषा भारती रत्न‘‘, साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी, प्रतापगढ द्वारा '' विवेकानंद सम्मान'' , महिमा प्रकाशन, दुर्ग-छत्तीसगढ द्वारा ''महिमा साहित्य भूषण सम्मान'' नगर निगम डिग्री कालेज, अमीनाबाद, लखनऊ द्वारा ‘‘सोहनलाल द्विवेदी सम्मान‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘कविवर मैथिलीशरण गुप्त सम्मान‘‘ व ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानोपाधि संस्थान, कुशीनगर द्वारा ‘‘राष्ट्रभाषा आचार्य‘‘ व ‘‘काव्य गौरव‘‘, इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, बिजनौर द्वारा ‘‘साहित्य गौरव‘‘ व ‘‘काव्य मर्मज्ञ‘‘, दृष्टि संस्था, गुना द्वारा ‘‘अभिव्यक्ति सम्मान‘‘, छत्तीसगढ़ शिक्षक-साहित्यकार मंच द्वारा ‘‘साहित्य सेवा सम्मान‘‘, आसरा समिति, मथुरा द्वारा ‘‘ब्रज गौरव‘‘, श्री मुकुन्द मुरारी स्मृति साहित्यमाला, कानपुर द्वारा ‘‘साहित्य श्री सम्मान‘‘, मेधाश्रम संस्था, कानपुर द्वारा ‘‘सरस्वती पुत्र‘‘, खानाकाह सूफी दीदार शाह चिश्ती, ठाणे द्वारा ‘‘साहित्य विद्यावाचस्पति‘‘, उत्तराखण्ड की साहित्यिक संस्था देवभूमि साहित्यकार मंच द्वारा ‘‘देवभूमि साहित्य रत्न‘‘, सृजनदीप कला मंच पिथौरागढ़ द्वारा ‘‘सृजनदीप सम्मान‘‘, मानस मण्डल कानपुर द्वारा ‘‘मानस मण्डल विशिष्ट सम्मान‘‘, नवयुग पत्रकार विकास एसोसियेशन, लखनऊ द्वारा ‘‘साहित्यकार रत्न‘‘, महिमा प्रकाशन छत्तीसगढ़ द्वारा ‘‘महिमा साहित्य सम्मान‘‘, राजेश्वरी प्रकाशन, गुना द्वारा ‘‘उजास सम्मान‘‘ व ’’अक्षर शिल्पी सम्मान’’, न्यू ऋतम्भरा साहित्यिक मंच, दुर्ग द्वारा ‘‘ न्यू ऋतम्भरा विश्व शांति अलंकरण‘‘, राजेश्वरी प्रकाशन, गुना (म0प्र0) द्वारा ’’अक्षर शिल्पी सम्मान-2010’’ , साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ''हिंदी भाषा भूषण-2010'' इत्यादि तमाम सम्मानों से अलंकृत किया गया है। ऐसे युवा प्रशासक एवं साहित्य मनीषी कृष्ण कुमार यादव को इस सम्मान हेतु बधाईयाँ।

गोवर्धन यादव
संयोजक-राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, छिन्दवाड़ा
103 कावेरी नगर,
छिन्दवाड़ा (म0प्र0)-480001

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पोर्टब्लेयर में कवि सम्मेलन

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पोर्टब्लेयर में कवि सम्मेलन

हिन्दी साहित्य कला परिषद, पोर्टब्लेयर द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दक्षिण अंडमान के उप मंडलीय मजिस्ट्रेट श्री राजीव सिंह परिहार मुख्य अतिथि थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता चर्चित युवा साहित्यकार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने की. दूरदर्शन केंद्र पोर्टब्लेयर के सहायक निदेशक श्री जी0 साजन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे. कार्यक्रम का शुभारम्भ द्वीप प्रज्वलन द्वारा हुआ.

इस अवसर पर द्वीप समूह के तमाम कवियों ने अपनी कविताओं से शमां बांधा, वहीँ तमाम नवोदित कवियों को भी अवसर दिया गया. एक तरफ देश-भक्ति की लहर बही, वहीँ समाज में फ़ैल रहे भ्रष्टाचार, महंगाई और अन्य बुराइयाँ भी कविताओं का विषय बनीं. कविवर श्रीनिवास शर्मा ने देश-भक्ति भरी कविता और द्वीपों के इतिहास को छंदबद्ध करते कवि सम्मलेन का आगाज किया. जगदीश नारायण राय ने संसद की स्थिति को शब्दों में ढलकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. जयबहादुर शर्मा ने महंगाई को इंगित किया तो उभरते हुए कवि ब्रजेश तिवारी ने गणतंत्र की महिमा गाई. डा0 एम0 अयया राजू ने आज की राजनैतिक व्यवस्था पर कविता के माध्यम से गहरी चोट की तो डा0 रामकृपाल तिवारी ने यह सुनकर सबको मंत्रनुग्ध कर दिया कि नेताओं के चलते 'तंत्र' ही बचा और 'गण' गायब हो गया. श्रीमती डी0 एम0 सावित्री ने कविताओं के सौन्दर्य बोध को उकेरा तो डा0 व्यासमणि त्रिपाठी ने ग़ज़लों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. अन्य कवियों में संत प्रसाद राय, अनिरूद्ध त्रिपाठी, बी0 के0 मिश्र, राजीव कुमार तिवारी, सदानंद राय, एस0 के0 सिंह, रामसिद्ध शर्मा, रामसेवक प्रसाद, परशुराम सिंह, डा0 मंजू नायर एवं श्रीमती रागिनी राय ने अपने काव्य पाठ द्वारा काव्य संध्या को यादगार शाम बना दिया। मुख्य अतिथि श्री राजीव सिंह परिहार ने भी हिन्दी कविता की आस्वादन प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए स्वरचित कविताओं का पाठ किया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए चर्चित युवा साहित्यकार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने सामाजिक परिवर्तन में कविता की क्रांतिकारी भूमिका की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। आज के लेखन में राष्ट्रीय चेतना की कमी और राष्ट्रीयता के विलुप्त होने की प्रवृत्ति के भाव पर रचनाकारों को सचेत करते हुए उन्होंने कविता को प्रभावशाली बनाने पर जोर दिया। श्री यादव ने जोर देकर कहा कि कविता स्वयं की व्याख्या भी करती है एवं बहुत कुछ अनकहा भी छोड़ देती है। इस अनकहे को ढूँढ़ने की अभिलाषा ही एक कवि-मन को अन्य से अलग करती है। ऐसे में साहित्यकारों और कवियों का समाज के प्रति दायित्व और भी बढ़ जाता है. उन्होंने परिषद द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यभूमि से कटे होने के बावजूद भी यहाँ जिस तरह हिंदी सम्बन्धी गतिविधियाँ चलती रहती हैं, वह प्रशंसनीय है.

कार्यक्रम के आरम्भ में परिषद के अध्यक्ष श्री आर0 पी0 सिंह ने उपस्थिति का स्वागत किया, जबकि प्रधान सचिव श्री बी0 के0 मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कवि सम्मेलन का संयोजक एवं संचालन हिंदी साहित्य कला परिषद् के साहित्य सचिव डा0 व्यासमणि त्रिपाठी ने किया।

डा0 व्यासमणि त्रिपाठी
साहित्य सचिव- हिंदी साहित्य कला परिषद्,
पोर्टब्लेयर-744101
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

डॉ0 ब्रजेश कुमार प्रधान सम्पादक--स्पंदन का निधन


उत्तर प्रदेश के उरई शहर के दयानन्द वैदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व प्राध्यापक एवं साहित्यिक पत्रिका स्पंदन के प्रधान सम्पादक डॉ0 ब्रजेश कुमार का कल प्रातः निधन हो गया। डॉ0 ब्रजेश कुमार की शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद में हुई और अध्ययन पूर्ण करने के बाद उन्होंने उरई को अपनी कर्मस्थली के रूप में चयनित किया।

साहित्यिक प्रतिभा के धनी डॉ0 ब्रजेश का रंगमंच के प्रति भी जबरदस्त लगाव था। उन्होंने उरई जैसे छोटे से शहर में आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व जबकि शहर में रंगमंचीय कार्यक्रमों के प्रति लोगों की विशेष रुचि नहीं थी, तब उन्होंने थैंक्यू मिस्टर ग्लॉड, लहरों के राजहंस, घासीराम कोतवाल जैसे विश्वप्रसिद्ध नाटकों का मंचन करवाया। रंगमंच और सांस्कृतिक कार्यों के प्रति विशेष रुचि रखने के कारण ही उन्होंने 25 वर्ष पूर्व सांस्कृतिक एवं रंगमंचीय संस्था वातायन की स्थापना कर शहर में सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण किया।

रंगमंच के प्रति स्नेह और साहित्य- लेखन के प्रति अनुराग रखने के कारण उन्होंने कई नाटकों तथा कविताओं की सर्जना की। ओरछा की नगरबधू, लाला हरदौल आदि जैसे स्थानीय विषयों के द्वारा उन्होंने बुन्देली संस्कृति को भी जनता के सामने रखा। साहित्य अनुराग के कारण ही वे सेवानिवृत्ति के बाद भी साहित्य से जुड़े रहे।

उरई को अपनी कर्मस्थली बनाने वाले डॉ0 ब्रजेश कुमार ने यहीं से चौमासिक साहित्यिक पत्रिकास्पंदन का प्रकाशन भी शुरू किया। उनके प्रधान सम्पादकत्व में निकलने वाली स्पंदन ने अपने अल्प समय में ही काफी प्रसिद्धि प्राप्त की और देश-विदेश में नाम कमाया।

अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वे काफी समय तक उरई शहर में ही रहे और फिर अपनी आयु और शारीरिक अस्वस्थता के कारण वे अपने इकलौते पुत्र अभिनव उन्मेश कुमार के साथ रहने लगे। अन्तिम समय तक वे किसी न किसी रूप से स्वयं को सक्रिय बनाये रखे रहे। वे अपने पीछे अपनी पत्नी, पुत्री-दामाद, पुत्र-पुत्रबधू, नाती-नातिनों को छोड़ गये।

यह और बात है कि अपनी शारीरिक अस्वस्थता के कारण डॉ0 ब्रजेश कुमार अन्तिम समय में रंगमंच और साहित्य से पूर्ण रूप से नहीं जुड़े रह सके किन्तु यह सत्य है कि उनका जाना रंगमंच के क्षेत्र में, साहित्य के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है। इस क्षति को लम्बे समय तक भरा जा पाना सम्भव नहीं है। उन्होंने उरई जैसे छोटे नगर को रंगमंच के प्रति, साहित्य के प्रति जागरूक किया और यहां के लोगों में इनके प्रति लगाव भी पैदा किया।

विशेष- डॉ0 ब्रजेश कुमार द्वारा रचित कविताओं को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

स्पंदन पत्रिका का इंटरनेट संस्करण यहाँ से देखा जा सकता है



शनिवार, 29 जनवरी 2011

संतोष श्रीवास्तव की पुस्तक --- ' मुझे जन्म दो मां' --- का लोकार्पण


' मुझे जन्म दो मां' (संतोष श्रीवास्तव) का लोकार्पण समारोह

जमीनी सच्चाईयों से जूझती किताब
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मुम्बई : १५ जनवरी २०११ को जे।जे.टी यूनिवर्सिटी झुंझुनू [राज.] के तत्वावधान में चर्चित कथा लेखिका संतोष श्रीवास्तव के नारी विमर्श पर उनकी सामयिक प्रकाशन दिल्ली से सध्य प्रकाशित पुस्तक ''मुझे जन्म दो मां'' का लोकार्पण समारोह नजमा हेपतुल्ला सभागार सांताक्रुज [पूर्व] में मुख्य अतिथि डा. करुणा शंकर उपाध्याय एवं अध्यक्ष सुधा अरोड़ा द्वारा किया गया। इसी अवसर पर हाल ही 'संगिनी' पत्रिका की संपादक और स्त्री विषयक कार्यों को अंजाम देने वाली एवं "लाडली मीडिया लाईफ़ टाईम अचीवमेंट'' से पुरस्कृत दिव्या जैन का संस्था ने विशेष सम्मान भी किया।

कार्यक्रम का प्रारंभ यूनिवर्सिटी के चांसलर श्री विनोद टीबड़ेवाला के स्वागत भाषण से हुआ। तत्पश्चात पुस्तक की प्रस्तावना देते हुए कथा लेखिका प्रमिला वर्मा ने कहा कि इस पुस्तक में लेखिका स्त्रियों के लंबे संघर्षपूर्ण इतिहास से भी टकराती हैं और कहीं इस प्रक्रिया में किए गए उपायों की बखिया भी उधेड़ती नज़र आती हैं। इस पुस्तक में ३४ लेखों का संग्रह है जो देश भर के समस्त स्त्री विषयक विमर्शों को समेटता है।

पुस्तक की लेखिका संतोष श्रीवास्तव ने अपने मनोगत भाषण में अपने आप को खुली किताब के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कि मैंने कोशिश की औरत से सम्बन्धित हर क्षेत्र की पड़ताल करने की पर बस एक अंश ही लिख पाई हूं। औरत के इतिहास को वर्तमान को लिखना कोई आसान काम नहीं है।

पुस्तक की विशेष चर्चा में प्रमुख वक्ता के तौर पर डा. नगमा जावेद ने पुस्तक की विवेचना की। उन्होंने कहा कि पुस्तक नारी विमर्श के सभी आयामों को प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में केवल वर्तमान नारी विमर्श नहीं है अपितु पिछली सदियों से चल रहे नारी विमर्श का विस्तृत वर्णन है। लेखिका ने हर क्षेत्र की महिलाओं की समस्याओं का अध्ययन बेहद विस्तार और गहराई के साथ प्रमाणों के आधार पर किया है। विशेष चर्चा में भाग ले रहे प्रोफ़ेसर डा. रवीन्द्र कात्यायन ने पुस्तक के पृष्ठ-दर पृष्ठ की चर्चा करते हुए इसे हिन्दी के लिए एक महत्वपूर्ण व अभूतपूर्व ग्रंथ माना।

पुस्तक के लोकार्पण के पश्चात मुख्य अतिथि डा. करुणा शंकर उपाध्याय ने अपने सार गर्भित संक्षिप्त भाषण में लेखिका को इस क्रान्तिकारी कदम उठाने और कलमबद्व करने के लिए बधाई दी और कहा कि यह सर्व स्वागतीय पुस्तक है। स्त्री विमर्श पर लिखी यह पुस्तक शोधार्थियों के लिए एक संदर्भ ग्रन्थ के रूप में जानी जाएगी। गहन चिंतन से पूर्ण यह पुस्तक नाम के अनुरूप हमारे समक्ष कई प्रश्न चिन्ह लगाती है और समाजिक परिवर्तन के ढांचे को बदलने की ओर इंगित करती है। कार्यक्रम के दौरान ही अपार प्रशंसा बटोरती इस पर जे.जे.टी. यूनिवर्सिटी के चांसलर श्री विनोद टीबड़ेवाला ने लेखिका संतोष श्रीवास्तव को पी एच.डी की मानद उपाधि से अलंकृत करने की घोषणा की।

टी.वी. अभिनेता और डबिंग की दुनिया का जाना पहचाना नाम सोनू पाहूजा ने पुस्तक के कुछ महत्वपूर्ण अंशों को नाटकीय रूप में पेश किया। उन्होंने गर्भपात के समय बनाई गई अल्ट्रासांउड फ़िल्म'साइलेंट स्क्रीम' का दिल दहलाने वाला विवरण पेश किया।

अध्यक्षीय भाषण प्रख्यात कथा लेखिका सुधा अरोड़ा ने कहा कि महिलाएं आज पितृसत्तात्मक और पुरुष वर्चस्व के समाज में जी रही हैं। उंगलियों पर गिने जाने वाले कुछ शीर्षस्थ नामों के बूते पर यह भ्रम नहीं पालना चाहिए कि स्त्री के बड़े तबके में सशक्तीकरण हो चुका है। भारत के न सिर्फ़ गांवों और कस्बों में बल्कि महानगर में रहने वाले आम मध्यवर्गीय तबके में भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, बलात्कार, घरेलू हिंसा और कार्यालयों में यौन शोषण विकराल रूप में है। स्त्रियों में जागरूकता लाने के लिए उनकी समस्याओं से मुठभेड़ करती और जमीनी सच्चाई से जूझती वैचारिक पुस्तक की आज सख्त जरूरत है। संतोष की यह पुस्तक इस कसौटी पर खरी उतरती है।

सुमीता केशवा ने सभी का आभार माना तथा लेखिका के लिए दो शब्द कहते हुए उन्होंने कहा कि अब तक संतोष जी के प्यार से सराबोर उपन्यास पढ़ने को मिले हैं परन्तु अब उनकी कलम से ऐसे विस्फ़ोटक राज खुलेंगे जानकर ताज्जुब हुआ। दरअसल औरतों पर हुए जुल्मों का यह संपूर्ण दस्तावेज है।

आलोक भट्टाचार्य ने अपने कुशल संचालन के दौरान कहा कि संतोष ने इस पुस्तक में जिन सच्चाईयों का प्रामाणिक वर्णन किया है वह आज भी घटित हो रही है। समाज नहीं बदला है। समारोह में शहर से तथा बाहर से आए हुए लेखक, पत्रकार तथा साहित्य तथा साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

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रिपोर्ट--
सुमीता केशवा

रविवार, 9 जनवरी 2011

40वीं यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र लेखन प्रतियोगिता संपन्न

पोर्टब्लेयर में स्कूली बच्चों के लिए

40वीं यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र लेखन प्रतियोगिता संपन्न

पत्र जीवंत रखते हैं खुशनुमा अहसास और संवेदनाएं - के.के. यादव

डाक टिकटों के प्रति दिखा बच्चों का क्रेज 50 से ज्यादा फिलेटलिक डिपाजिट खाता खुले

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अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डाक विभाग द्वारा रविवार 2 जनवरी 2011 को सवेरे 10 बजे से 11 बजे तक पोर्टब्लेयर के राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 40वीं यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने किया। पत्र लेखन का विषय था-अपने को जंगल का एक पेड़ मानते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें कि जंगलों का संरक्षण क्यों जरूरी है (Image you are a tree living in a forest, write a letter to someone to explain why it is important to protect forest.)

इस अवसर पर निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि डाक विभाग की पत्र लेखन की यह अनूठी पहल किशोरों को डाक सेवाओं के स्वर्णिम आयामों से परिचय कराती है। अभी भी पत्र-लेखन का काफी महत्व है और इसमें भावनाओं का जिस प्रकार प्रकटीकरण होता है वह संचार के अन्य साधनों में नहीं है। पत्र लेखन सिर्फ एक विधा नहीं है बल्कि इसमें रिश्तों की मिठास हो़ती है और पत्रों की भाषा में एक खुशनुमा अहसास होता है जिससे संवेदनाएं जीवंत रहती हैं। श्री यादव ने कहा कि पत्र लेखन सोचने की क्षमता और शब्द ज्ञान में भी वृद्धि करते हैं ऐसे में युवा पीढ़ी और विद्यार्थियों को इस ओर आकृष्ट करना और भी जरूरी है।



गौरतलब है कि यह प्रतियोगिता अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित की गई थी। डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि पत्र-लेखन प्रतियोगिता में शामिल सभी कापियां पहले सर्किल स्तर पर (पोर्टब्लेयर के लिए कोलकात्ता में) जांची जायेंगीं फिर उनमें से सर्वोत्तम का चयन कर राष्ट्रीय स्तर के लिए डाक निदेशालय दिल्ली भेजी जायेंगीं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम, दितीय और तृतीय स्तर के लिए क्रमशः 2000, 1500 और 1000 रूपये का नकद पुरस्कार व प्रमाण-पत्र दिया जायेगा। प्रत्येक डाक परिमंडल के लिए हर सर्वोत्तम पत्र को 250 रूपये का प्रोत्साहन नकद पुरस्कार व प्रमाण-पत्र भी दिया जायेगा। राष्ट्रीय स्तर पर चयनित इन सर्वोत्कृष्ट तीन पत्रों को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों हेतु भेजा जायेगा, जहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम, दितीय और तृतीय स्तर के लिए क्रमशः स्वर्ण, रजत और ताम्र मेडल एवं साथ में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का अधिकारिक डाक टिकटों का अल्बम सम्मानस्वरूप दिया जायेगा।

पोर्टब्लेयर में इस पत्र लेखन प्रतियोगिता में कुल 28 बच्चों ने भाग लिया। अधिकतर प्रतिभागी बच्चे कार्मेल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पोर्टब्लेयर राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानंद विद्यालय पोर्टब्लेयर और संत मेरी विद्यालय पोर्टब्लेयर के विद्यार्थी थे।

इस अवसर पर डाक टिकटों का एक काउंटर भी लगाया गया, जहाँ बच्चों ने रंग-बिरंगे डाक टिकटों का लुत्फ उठाया। इस अवसर पर उन्हें डाक विभाग की फिलेटलिक डिपाजिट खाता स्कीम के बारे में भी बताया गया, जिसके अंतर्गत कोई न्यूनतम 200 रूपये में खाता खोलकर हर महीने घर बैठे नई डाक टिकटें और अन्य मदें प्राप्त कर सकता है। फिलेटलिक डिपाजिट खाता खोलने में तमाम बच्चों और उनके अभिवावकों ने रूचि दिखाई और लगभग 50 फिलेटलिक डिपाजिट खाता इस अवसर पर खोले गए।

निदेशक डाक सेवाएं

अंडमान व निकोबार द्वीप समूह,

पोर्टब्लेयर-744101